सोमवार, 3 अगस्त 2015

देखना ये है ये भोपाली किन्नर किधर जाता है

देखना ये है ये भोपाली किन्नर किधर जाता है इस बात पर ही अब कांग्रेस का भविष्य निर्भर करेगा  । पानी जब हद से गुज़र जाता है तो बाँध टूट जाता है। संसद में हाल फिलाल  यही हुआ है और बिलकुल ठीक हुआ है। ये १४४ से ४४ पर आ गए कांग्रेसी अब सोनिया मायनो के अलावा न किसी की शक्ल देखना चाहते हैं न पहचानते हैं न किसी की आवाज़ सुनना चाहते हैं । संसद का इन्होनें मखौल बनाके रख दिया था और स्पीकर के ऊपर चढ़ जाते थे ये इस्तीफा इस्तीफा चिल्लाते चिल्लाते।  बहस को ये तैयार नहीं सुषमा जवाब देना चाहतीं हैं ये सुनना नहीं चाहते।

कैसे मूर्ख हैं इस्तीफा इन्हें सोनिया मायनो से मांगना चाहिए राहुल से मांगना चाहिए जिन्होेंने कांग्रेस को आज इस स्थिति में पहुंचा दिया जो विपक्ष का भी दर्ज़ा पाने में भी कामयाब नहीं हुई  इस्तीफा ये सुषमा का ,शिवराज और वसुंधरा का मांग रहे हैं।

क्या देश में ये  वैसा प्रबंध चाहतें हैं  जब ये अहंकार के साथ कुर्सियों पर बैठते थे और सारा देश शीर्षासन में रहता था।

  सोनिया द्वारा नियुक्त एक प्रधानमन्त्री कभी दायें देखता था पक्ष की ओर  कभी बाएं विपक्ष की ओर  कभी ऊपर ,और कभी अपनी ओर ये पता लगाने के लिए कि मैं कहाँ हूँ।

पच्चीस कांग्रेसी तो लोकसभा से पांच दिनों के लिए निलंबित हो गए अब बाकी बचे १९ कांग्रेसी जिनकी सदस्यता अभी बरकरार है  सोनिया के पास जाएँ ,राहुल के पास जाएँ देखना यह भी है कि कौन किधर जाता है और खासकर वह भोपाली किन्नर किधर जाता है तभी यह तय होगा कि कांग्रेस को किधर जाना है। अगर ऐसा संभव न हो तो पर्चियां डालकर कांग्रेसियों को तय  कर लेना चाहिए। 

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