बुधवार, 30 दिसंबर 2015

एक ही एजेंडा है इस दौर में केजरबवाल और मायनो कांग्रेस का मोदी को कोसना ,अपशब्द कहना। अपने इस अजंडे में उन्होंने नीतीश को भी शामिल कर लिया है। पानी सर के ऊपर से गुज़र चुका है।

मुख है या मलद्वार 

दिल्ली के मुख्यमंत्री लगातार जिस अ -संविधानिक भाषा का इस्तेमाल कर रहें हैं वह दिल्ली की जनता की लगातार दुनियाभर में शर्मिंदगी की वजह बन रही है। हाल फिलाल उन्होंने न सिर्फ कहा ,बारहा पूरी ढिठाई के साथ दोहराया भी  -मोदी मुझे काम नहीं करने दे रहें हैं। जम्मू- काश्मीर-लद्दाख   राज्य के ध्वज के मुद्दे पर उन्होंने अपने संविधानिक पद की मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए कहा -यदि प्रधान-मंत्री नपुंसक नहीं हैं तो ऐसा करके दिखाएँ ,वैसा करके दिखाएँ। 

अब यदि दिल्ली की जनता उनकी इसी और ऐसी ही  अमर्यादित अपभाषा के चलते किसी दिन उनके मुख पर कालिख भी पोत  दे तो भी वह अपना वही कालीखपुता चेहरा लिए बोलते रहेंगे -मेरा काल मुंह करने से क्या होगा -मैं ऐसे ही बोलता रहूँगा। 

मतलब वह इसी तरह मुख 
इस छोटे स्तर के आदमी को अपनी असली कदकाठी का इल्म ज़रूर हो जाएगा।से मलत्याग करते रहेंगे। 

एक ही एजेंडा है इस दौर में केजरबवाल और मायनो कांग्रेस का मोदी को कोसना ,अपशब्द कहना। अपने इस अजंडे में उन्होंने नीतीश को भी शामिल कर लिया है। पानी सर के ऊपर  से गुज़र चुका है। 

जो चैनल उन्हें  माइक्रोफोन थमाकर लगातार खबरों में बढ़त दिलाए हुए हैं इतनी गैरत तो उनमें भी होनी चाहिए -इनकी  बेहूदा भाषा से  कमसे कम  असहमति  तो ज़ारी कर दें।फटकार दें इन्हें एक मर्तबा। इससे इन चैनलों का कद कम नहीं हो जाएगा। 

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