गुरुवार, 2 नवंबर 2017

Introduction तंत्र -योग एक विहंगावलोकन

Introduction

तंत्र -योग एक विहंगावलोकन 

संस्कृत साहित्य का वर्गीकरण अध्ययन की दृष्टि से छः शाश्त्र -सम्मत परम्परागत या रूढ़िवादी धाराओं एवं चार धर्म से इतर लौकिक धाराओं या सेकुलर शीर्षों ,प्रमुख धाराओं में किया जा सकता है।

छः शास्त्र सम्मत धाराएं इस प्रकार हैं :

(१) श्रुति 

(२ )स्मृति 

(३ )इतिहास 

(४ )पुराण 

(५ )आगम 

(६ )दर्शन 

सेकुलर धाराएं इस प्रकार हैं :

(१ )सुभाषित 

(२ )काव्य 

(३ )नाटक 

(४ )अलंकार 

 आगम धर्म - शास्त्र -विषयक प्रकरण ,प्रबंध या आलेख हैं, गाइड हैं ,नियम पुस्तिका हैं पूजा अर्चना के व्यावहारिक दिग्दर्शन की। इनके अंतर्गत आएंगे ;

(१ )तंत्र 

( २ )मंत्र और 

(३ )यन्त्र 

ये कह सकतें हैं हम के आलेख  हैं कैप्स्युल्स हैं मूर्तिपूजा -विधान के ,मंदिरों में अपनाये गए पूजा अर्चना के तरीके समझाते  हैं ये प्रकरण।अलावा इसके  सभी आगमों में चर्चा की गई है :

(१ )ज्ञान या नालिज की 

(२ )योग या ध्यान की 

(३ )क्रिया या मेकिंग की 

(४ )चर्या या डूइंग 

यहां आपको विस्तृत और सटीक ब्योरा मिलेगा तात्त्विकी या सत्ता मीमांसा का ,सृष्टि विज्ञान या कास्मॉलॉजी का ,मुक्ति ,भक्ति ,ध्यान समाधि ,मंत्रों में गुंथा दर्शन शास्त्र ,अध्यात्म विद्या का दिग्दर्शन कराते रेखा -चित्र ,मंत्र -तावीज़ ,माया शक्ति ,मोहिनी शक्ति ,वशीकरण (Charms and Spells ),मंदिर -निर्माण की कला ,चित्रकारी (चित्रकला ,इमेज मेकिंग ),घरेलू -प्रथाएं ,समाज में उठ बैठ के नियम सामाजिक नियम -विधान ,जन-पर्व।

(आगमों का आगे वर्गीकरण पढ़िए अगली क़िस्त में ...)

आगमों को तीन संभागों या उपवर्गों में बांटा गया है :

(१)वैष्णव 

(२ )शैव और 

(३ )शाक्त 

तीनों के अपने-अपने  मत और निर्धारित सिद्धांत हैं। ये सनातन सम्प्रदाय कहे गए हैं भारतधर्मी समाज के।

वैष्णव सम्प्रदाय (पंचरात्र )विष्णु का गुणगायन ,शैव -भगवान शंकर (शिव )का जिसे शैव - सिद्धांत भी कहा  गया

है ,तथा -

शाक्त-आगम या तंत्र  देवी शक्ति की ,विश्व की विभिन्न नाम रूपधारी  मातृ शक्ति को  परमात्मा के रूप में पूजते हैं।

आगम यद्यपि वेदों को प्रमाण नहीं मानते लेकिन इनका विरोध भी कहीं नहीं करते दीखते हैं।

आत्मा और चरित यकसां हैं आगम -निगम वेदपुराण का।

इसीलिए इन्हें 'प्रमाण 'शब्द प्रमाण' कहा माना गया है जिन्हें आगे किसी और 'प्रमाण' की ज़रूरत नहीं है।

तंत्र आगम का संबंध शाक्त -कल्ट ,शाक्त सम्प्रदाय से है। 

इसके समर्थक शक्ति को ही विश्व -माता  मानते हैं।यहां शक्ति उपासना का बहुविध विधान हैं। यहां अनुष्ठान परक ,कर्म -काण्ड परक तरीकें हैं देवी उपासना पूजा अर्चना के।

सत्ततर आगम बतलाये गए हैं।  

कुछ मायनों में ये पुराणों जैसे ही हैं। यहां शिव -पार्वती कथा संवाद रूप में है। दोनों प्रश्न करता भी हैं समाधान करता भी यानी उत्तर प्रदाता भी हैं। एक पूछता है दूसरा ज़वाब देता है। बारी -बारी। इनसे ताल्लुक रखने वाले प्रमुख ग्रंथ या कार्य रहे हैं :

(१ )महानिर्वाण निष्पादन एवं अवधारणा 

(२ )कुलार्णव 

(३ )कुलासरा (कुलसर )

(४ )प्रपञ्चसर (प्रपंचासर )

(५ )तन्त्रजा (तंत्रज )

(६ )रूद्र यमला 

(७ )ब्रह्म यमला 

(८ )तोडला तंत्र 

महानिर्वाण तंत्र आगमों से चस्पां एक प्रमुख ग्रन्थ है। इनमें तंत्र -मन्त्र ,जादुई ,रहस्यात्मक (तर्क और विज्ञान से परे ,पारतार्किक )ऑकल्ट प्रेक्टिस प्र -शिक्षण भी है शक्ति अंतरण भी। यहां ज्ञान भी है फ्रीडम भी (प्राप्त शक्ति या वस्तु के उपयोग की आज़ादी  भी है  ). 

Tantra Yoga

भारतधर्मी सनातन धर्म की आध्यात्मिक पीढ़ी को बनाये रखने के लिए तंत्र योग एक शक्तिशाली साधन माना गया है। बे -शक धूर्तों ,कुपात्रों ,अज्ञानियों के हाथों इस विद्या का बड़ा दुरूपयोग भी हुआ है जिन्होनें इसका इस्तेमाल सिर्फ चमत्कार दिखलाकार पैसा गाढ़ने और भले जन मानस को लूटने फंसाने युवतियों को भर्मित किये रहने के लिए ही किया है। शक्ति साधना की  इससे बड़ी तौहीन और क्या हो सकती है। गूढ़ विद्या का तमाशा लगाना अन्धकार में भटके हुए लोग ही कर सकते हैं।

पंच -मकार -सिद्धांत का अज्ञानियों ने बड़ा मखोल  बनाया है -मद्य , मांस ,मच्छी ,मुद्रा और मैथुन गलत इस्तेमाल के लिए धूर्तों के हाथ लगने पर बड़ा अनर्थ हो जाता है समाज का। जबकि इन पंच -मकारों का रहस्यमूलक आधायत्मिक गूढ़ अर्थ था :

(१ )अहम का विसर्जन ,'मैं भाव ' को मारना मद्य था

(२ )दैहिक संयम था ,काम रस नहीं था मांस

(३ )रूहानी शराब ,भक्ति रस में डूबना रहा है नामरस सबसे बड़ा है नशीला मद्य  है

(४ ) शिव से मिलन था अर्धनारीश्वर होना था।

तंत्र का मतलब 'तत्व -मीमांसा 'थी ब्रह्म तत्व को बूझना था ,(तनोति Tanoti  )की व्याख्या करना था। और 'मंत्र' रहस्य -मूलक -अध्यात्म विद्या का नाद था। गूढ़ -दुर्बोध्य स्वर था मंतोच्चार।

 त्रैयते से तंत्र बना है  

तंत्र जादू टोने- टोटके की किसी किताब का नाम नहीं है।जंतर -मंतर भी नहीं हैं यहां किसी रहस्य विद्या के ये सूत्र भी नहीं है। 

धर्म ग्रन्थ हैं ये अद्भुत। ये मानव मात्र के कल्याण के लिए हैं जहां से कोई भी उद्बोधन प्राप्त कर सकता है कोई जाति ,मज़हब निषेध नहीं है यहां।कोई रंग भेद नहीं है।  

'महानिर्वाण -तंत्र' और 'कुलार्णव' प्रमुख ग्रंथ हैं तंत्र -योग  के। 

कृष्णा यजुर्वेदीय 'योग - कुंडलिनी -उपनिषद' यहीं हैं।जबाला दरसना ,त्रिशिखा ब्राह्मण तथा वराह उपनिषद यहां कुण्डलिनी शक्ति को सक्रीय करने की कला सिखाता है। 

(ज़ारी )


(शेष तंत्र -योग दूसरी क़िस्त में.....  ) 

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